Voices from the Ground

Read on-ground stories about how our work is helping children across India learn better

सुनीता यादव कहती हैं: अब पढ़ाई घर तक आती है

शिक्षा सिर्फ बच्चों की ज़रूरत नहीं होती, वह एक माँ की उम्मीद भी होती है। जब बच्चा पहला अक्षर सीखता है, तो उसके साथ माँ भी एक नई भाषा, एक नया सपना और एक नया विश्वास सीखती है। पहले के दौर में, जब माँ खुद अधूरी शिक्षा की झोली लेकर ज़िंदगी में आगे बढ़ती थी, तब वह चाहती थी कि उसका बच्चा उस अधूरेपन को न दोहराए।
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तलत बेग: सहज और भरोसेमंद शिक्षा की ओर

मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के बुधनी ब्लॉक में स्थित सरकारी प्राथमिक विद्यालय में,पढ़ाई का माहौल अब पहले से कहीं ज़्यादा सहज और सकारात्मक हो गया है। इसका एक अहम कारण हैं यहां की शिक्षिका तलत बेग, जो बच्चों के साथ गहरा और भरोसेमंद रिश्ता बनाकर उन्हें सीखने के लिए प्रेरित करती हैं।
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रीना पाटेदार: शिक्षण उत्कृष्टता की कहानी

शिक्षिका रीना पाटेदार मिशन अंकुर के अंतर्गत बच्चों की बुनियादी शिक्षा को सुदृढ़ करने के महत्व पर प्रकाश डाल रही हैं। वो बताती हैं कि प्रारंभिक शिक्षा बच्चों के भविष्य की नींव होती है और इसे मज़बूत करना क्यों आवश्यक है। रीना पाटेदार अपने अनुभव साझा करते हुए बताती हैं कि कैसे बच्चों को सही दिशा में शिक्षित करके उनके शैक्षिक और मानसिक विकास में सुधार किया जा सकता है। मिशन अंकुर के माध्यम से वो शिक्षा के महत्व को समझाती हैं और इसके माध्यम से बच्चों को आत्मनिर्भर और सक्षम नागरिक बनाने के अपने प्रयासों का वर्णन करती हैं।
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फुलबाई बारेला: गरीबी से शिक्षिका बनने तक की कहानी

नमस्ते, मेरा नाम फुलबाई बारेला है। मैं प्राथमिकशाला कोलुखेड़ी में शिक्षिका हूं और अलीपुर गाँव की रहने वाली हूं। मेरे विद्यालय के अधिकांश बच्चे सुदूर आदिवासी क्षेत्रों से आते हैं, और मैं भी आदिवासी क्षेत्र से आती हूं। ये बच्चे मेरे ही समाज के हैं, और इसलिए मैं उनके साथ एक विशेष जुड़ाव महसूस करती हूं।
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